Jashpur BREAKING : आकाशीय बिजली के जख्मियों को गोबर में गाड़ा, दो की मौत |

Jashpur BREAKING : आकाशीय बिजली के जख्मियों को गोबर में गाड़ा, दो की मौत

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पत्थलगांव/नवप्रदेश। जशपुर (jashpur) जिले के पत्थलगांव के समीम बागबहार गांव में अंधविश्वास (superstition) का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें दो लोगों की मौत (two person die) हो गई। दरअसल रविवार को खेत में काम करने केे दौरान आकाशीय बिजली (lightening) की चपेट में आने से एक युवती समेत तीन लोग झुलस गए थे।

लेकिन ग्रामीणों ने इन्हें डॉक्टर केे पास ले जाने के बजाय अंधविश्वास (superstition) के फेर में आकर गोबर (cow dung) में गर्दन से पांव तक गाड़ दिया। फिर भी इनकी हालत में सुधार नहीं हुआ। बाद में इन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया। लेकिन तब तक युवती समेत दो लोगों की मृत्यु (two person die)हो चुकी थी। डॉक्टरों ने इन्हें मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें अस्पताल में लाने में काफी देर हो गई। उनकेे परिजन गोबर से ढंकने में ही अधिकतर समय गंवा दिया। जबकि एक अन्य पर डॉक्टरी इलाज काम कर गया और उसकी हालत खतरे से बाहर है।

जशपुर (jashpur) जिले निवर्तमान पुलिस अधीक्षक शंकर लाल बघेल ने बताया कि बागबहार गांव में रविवार शाम आकाशीय बिजली (lightening) की चपेट में आने की दो अलग अलग घटना के बाद एक युवती चंपाबाई और दो युवक बुरी तरह झुलस गए थे। इनमें दो घायलों का उपचार के लिए उनके परिजनों ने अंधविश्वास का सहारा लेने से उन्हें बचाया नहीं जा सका, जबकि तीसरा राजू नामक युवक को बागबहार के स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के बाद बचा लिया गया है।

ये है मामला

प्राप्त जानकारी के अनुसार जब बारिश और आंधी शुरू हुई, तो तीनों ने भागकर एक खेत में एक पेड़ के नीचे शरण ले ली। तभी अचानक बिजली ऊनके ऊपरी गिरी, जिससे तीनों लोग गंभीर रूप से झुलस गए। घायलों को अस्पताल ले जाने के बजाय, उनके परिवार के सदस्यों और कुछ ग्रामीणों ने एक अंधविश्वास के तहत गाय के गोबर में पांव से गर्दन तक गाड़ दिया।

कुछ ने विरोध किया तो ले गए अस्पताल

एसपी बघेल ने बताया कि इस मामले में लोगों में अंधविश्वास से दूर नहीं होने की बात प्रमुखता से सामने आई है। आकाशीय बिजली की चपेट में आने के बाद झुलस जाने वाली युवती चंपाबाई को गोबर से ढक कर उपचार करने में काफी समय गंवा दिया गया था। इसी तरह मंदिर मुहल्ला का सुनील का उपचार में भी अंधविश्वास का ही सहारा लिया गया था। इस तरह का उपचार को लेकर जब गांव के कुछ लोगों ने विरोध किया तो उन्हें उपचार के लिए समीप का फरसाबहार स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया था। जहां चिकित्सक ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।

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