दंतेवाड़ा का यह गांव दिलाता है माउंटेन मैन दशरथ मांझी की याद !

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  • दंतेवाड़ा के पंडेमपारा गांव के लोगों को पीने के स्वच्छ पानी के लिए करना पड़ रहा संघर्ष
  • दो हैंडपंप, एक की मशीन खराब तो दूसरा फेंक रहा लाल रंग का पानी
  • मजबूरी में लोगों को जाना होता है आधा किमी दूर स्थित नदी पर

नकुलनार/नवप्रदेश। दन्तेवाड़ा (dantewada villager crossing mountain for water) के दूरस्थ क्षेत्रों में लोगों को मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन बिताना पड़ रहा है। लोगों को पीने का पानी (drinking water) भी पहाड़ पार करके नसीब हो रहा है। इसके लिए लोगों को पथरीली राह (rocky road) से गुजरना पड़ता है। सरकार ने तो यहां हैंडपंप की व्यवस्था कर रखी है, लेकिन संबंधित अफसर-कर्मचारियों की अनदेखी के कारण लोगों को पानी के लिए रोज कठिन डगर से नदी जाना पड़ता है। ऐसे में अनायास ही माउंटेन मैन दशरथ मांझी की याद ताजा हो जाती है।

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पानी के लिए पथरीली राह की ये कहानी है दन्तेवाड़ा (dantewada villager crossing mountain for water) के कटेकल्यान ब्लॉक की ग्रामपंचायत लखारास के पंडेमपारा गांव की। यहां पानी के लिए लोगों को रोज संघर्ष करते देखा जा सकता है। पंडेमपारा में करीब 45 से अधिक मकान हैं और गांव में 150 लोग निवास करते हैं। लेकिन इन लोगों को स्वच्छ पीने के पानी की (drinking water) सुविधा आधी अधूरी ही नसीब हो पाई है।

गुजरना होता है पथरीली राह व जंगल से

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दरअसल गांव मेंं दो सरकारी हैंडपंप लगाए गए हैं। लेकिन इनमें से एक में तकनीकी खराबी है तो वहीं दूसरा लाल रंग का पानी उगल रहा है। इसलिए इस गांव के ग्रामीण गांव से लगभग आधा किलोमीटर दूर से बह रही नदी से अपनी प्यास बुझाते हैं। लेकिन इन नदी तक पहुंचने में ग्रामीणों को जंगल व पथरीली राह (rocky road)  से होकर जाना पड़ता है।

पैरों में अच्छे चप्पल-जूते न हों तो जख्म का जोखिम अलग। नदी पर बने लकड़ी के ढोलचुआ से लोग पानी भरकर घर ले आते हैं। महीनों से बिगड़े बोरिंग को सुधारने की जहमत न तो प्रशासनिक अमले ने उठाई न तो इस गांव के जनप्रतिनिधियों ने ही समस्या सुलझाने के लिए कोई पहल की। बता दें कि दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर पानी लाने की राह आसान कर दी थी। मांझी पर फिल्म भी बन चुकी है।

जो समस्या पर देगा ध्यान, उसे ही चुनेंगे सरपंच

पंडेमपारा के ग्रामीणों का कहना है कि पीने के पानी के लिए उन्हें रोजाना काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नदी पर बने ढोलचुआ से पानी भरने में ही काफी समय चला जाता है। घर के अन्य जरूरी कामों को पड़े रख पानी के लिए घंटों मशक्कत करनी पड़ती है।ग्रामीणों का कहना है, ‘इस बार पंचायत चुनाव में 3 लोग सरपंच पद के लिए खड़े हैं। हमने बैठक कर निर्णय लिया है कि जो भी गांव की छोटी बड़ी सभी समस्याओं पर ध्यान देगा इस बार उसे ही जिताएंगे।

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