नवप्रदेश की ग्राउंड रिपोर्ट : लॉकडाउन को सहयोग नहीं कर रहे लोग, तीन मामलों से...

नवप्रदेश की ग्राउंड रिपोर्ट : लॉकडाउन को सहयोग नहीं कर रहे लोग, तीन मामलों से…

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दुर्ग/नवप्रदेश।  कोरोना (corona chhattisgarh) से निपटने छत्तीसगढ़ में भी शासन की ओर से लॉकडाउन (lockdown chhattisgarh) का पालन कराया जा रहा है। साथ ही उन सभी दिशा-निर्देशों पर भी काम हो रहा है, जो केंद्र सरकार ने जारी किए हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो लॉकडाउन (lockdown violation by citizens) व आइसोलेशन के नियम मानने को तैयार नहीं।

दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों द्वारा अपने घरों पर लगाए जाने वाले क्वारंटाइन (quarantine) के स्टीकर को फाड़ दिया जाता है। यहीं नहीं शासन के निर्देशों का पालन कराने के लिए आने वाली स्वास्थ्य व अन्य संबंधित विभागों की टीम को रसूख बताते हुए कुछ लोग ये भी कहने से बाज नहीं आते- एसडीएम से बात कराऊ क्या?… ऐसे लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार ने क्वारंटाइन का समय 14 दिन से बढ़ाकर 28 दिन क्यों किया गया है और लॉकडाउन (lockdown chattisgarh) पर सख्ती क्यों बरती जा रही है।

और यदि प्रदेश में कोरोना (corona chhattisgarh) संक्रमण कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज पर पहुंचा तो ऐसे लोग ही सबसे पहले सरकार पर सवाल उठाएंगे। नवप्रदेश की ग्राउंड रिपोर्ट में दुर्ग (durg corona) नगर निगम सीमा से सामने आए तीन वाकयों से ये साफ हो जाता है कुछ लोगों ने होम आइसोलशन (home isolation) व क्वारंटाइन (quarantine) को प्रतिष्ठा व कथित बदनामी का मुद्दा बना लिया है। वे सोशल डिस्टंसिंग व लॉकडाउन (lockdown violation by citizen) का भी पालन नहीं करना चाहते व ओवर कॉन्फिडेंस में जी रहे हैं। मामलों पर एक नजर…

केस  1. शंकर नगर आमापारा : यवुती बोली एसडीएम को बुलाऊ क्या

दुर्ग (durg corona) के शंकरनगर आमापारा की एक युवती के मध्य प्रदेश के पिपरिया से 29 मार्च को आने की सूचना स्थानीय टीम को मिलती है। टीम यहां पहुंचकर लड़की को होम क्वारंटाइन में रहने की सलाह देती है और उस घर पर क्वारंटाइन का स्टीकर लगा देता है। टीम के घर जाने के बाद मोहल्ले के ही एक शख्स का टीम के पास फोन आता है कि लड़की ने स्टीकर फाड़ दिया है। अगले दिन संयुक्त टीम लड़की को समझाने जाती है तो लड़की कहती है उसे कुछ नहीं हुआ है वह होम आइसोलेशन (home isolation) में में नहीं रहेगी। संयुक्त टीम के उसे नियम का पालन करने की समझाईश देने पर वह कहती है- एसडीएम की परमिशन से आई हूं। इस पर टीम कहती है- यदि आप नहीं मानें तो पुलिस बुलाकर क्वारंटाइन सेंटर भेज देंगे। लड़की रसूख दिखाकर जवाब देती है -बुलाओ, एसडीएम से बात कराऊ क्या?…

केस 2.  दुर्ग का शंकर नगर : पहले साबित करो मुझे कुछ हुआ है

यहां के एक घर में 21 मार्च को पुणे से एक युवक आता है। इसकी जानकारी स्थानीय टीम को 28 मार्च को मिलती है। 28 मार्च को संयुक्त टीम इस घर पर दस्तक देती है। घर के आठ लोग भी युवक के संपर्क में आ चुके होते हैं। लिहाजा परिवार से कहा जाता है कि वे क्वारंटाइन में ही रहे। इस पर युवक भड़क जाता है। टीम की ओर बढ़ते हुए कहता है- ‘पहले ये साबित करो कि मुझे कुछ हुआ है। तब ही मैं घर पर रहूंगा। रेलवे स्टेशन पर मेरी स्क्रीनिंग हो चुकी।’ युवक की बहन भी उसका साथ देती है। इस पर एसडीएम को बुलाया जाता है और एसडीएम उसे डांटते है तब जाकर मामला शांत होता है। 

केस 3. पद्मनाभपुर मुक्त नगर:  जिसने लाया कोरोना उसे देखो, हमें कुछ नहीं हुआ

यहां एक बुजुर्ग दंपति हैदराबाद से 21 मार्च को लौटे हैं। इनके घर संयुक्त अमला 22 मार्च को दस्तक देता है। घर में पड़ोस की ही एक महिला उनसे मिलने आई होती है। पहले तो बुजुर्ग दंपति को क्वारंटाइन में रहने को कहा जाता है और उनके घर पर स्टीकर लगा दिया जाता है। फिर टीम पड़ोसी महिला के घर जाती है तो वहां उनके पति चिल्लाने लगते हैं। बड़े नेता का नाम लेते हुए कहते हैं- ‘जिसने देश में कोरोना लाया उससे निपटो, हमें कुछ नहीं होने वाला। हमारे घर पर कोई स्टीकर मत चिपकाओ।‘ वहीं क्वारंटाइन की अवधि 28 दिन किए जाने के बाद बुजुर्ग दंपति के घर नया स्टीक लगाने जाने पर दंपति आग बबूला हो जाते हैं। कहते हैं- ‘हमारी दवाइयों का क्या होगा। राशन कौन लाकर देगा। आटा पिसाकर कौन लाएगा।’

मास्क मांगने से भी नहीं चूकते लोग 

दुर्ग के ही एक इलाके में संयुक्त टीम के पहुंचने पर लोगों ने उनसे मास्क की फरमाईश कर दी। लोगों का कहना था कि वे घर में तो रह रहे हैं लेकिन उनके लिए टीम मास्क की व्यवस्था करके दे। 

सख्ती बरतने पर चल रहा विचार
बाहर से आए लोगों के घर जब टीम पहुंचती है तो उसके साथ लोग झगड़े पर उतारू हो जा रहे हैं। सहयोग नहीं कर रहे। घरों पर क्वारंटाइन के स्टीकर चिपकाने नहीं देते। स्टीकर चिपकाने पर उन्हें फाड़ देते हैं। शिकायते मिलती हैं कि जिन्हें आइसोलेशन में रहना है वे बाहर घूम रहे हैं। ऐसे लोगों को समझाने तहसीलदार व एसडीएम को जाना पड़ रहा है। कुछ लोग लाकडाउन को भी गंभीरता से नहीं ले रहे। तीन बजे के बाद चौपाल लगाकर बैठने लगते हैं। ऐसे लोगों पर सख्ती बरतने पर भी विचार चल रहा है।    
-खेमलाल वर्मा, एसडीएम, दुर्ग

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