Chhattisgarh में 'चमत्कार' से कम नहीं ये जगह, हल्की बारिश में भी फूट जाते हैं... |

Chhattisgarh में ‘चमत्कार’ से कम नहीं ये जगह, हल्की बारिश में भी फूट जाते हैं…

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बैकुंठपुर/नवप्रदेश। छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) में कोरिया जिले (koria district) की ये जगह किसी ‘चमत्कार’ से कम नहीं है, जहां बनने वाले तालाब हल्की बारित में फूट जाने का मामला सामने आया है। बात हो रही है छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के कोरिया जिले (koria district) में स्थित गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान (guru ghasidas national park) की। राष्ट्रीय उद्यान अंतर्गत जिले के विभिन्न क्षेत्रों में विकास कार्य तो कराए जा रहे हैं।

लेकिन आए दिन ये काम गुणवत्ता को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। इलाके के लोगों की मानें तो निर्माण कार्यों में अनियमितता बरती जा रही है। यहां चर्चा आम हो गई है कि बिना तकनीकी विशेषज्ञों की सलाह के अधिकारी ही अपनी मर्जी से विभिन्न कार्यों का डिजायन बनाकर काम करा लेत हैं, जिससे इनमें जल्दी ही खराबी आ जाती है।

ताजा मामला उद्यान (guru ghasidas national park) के रामगढ़ परिक्षेत्र में लगभग 8 लाख की लागत से बने तालाब का है। जंगली जानवरों को पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यहां तालाब का निर्माण कराया गया, लेकिन कुछ दिन पहले हुई बेमौसम बारिश से इस तालाब की मेढ़ फूट गई। पानी बह गया और अब यह तालाब शो पीस बनकर रह गया। हालांकि अब अधिकारी इसे मरम्मत कर जल्द ही ठीक करने की बात कर रहे हैं।


2016 में बह गया था 20 लाख रु. से बना डैम

इसके पहले भी पार्क छेत्र में कछाडी में लगभग 20 लाख से बनाया हुआ डेम हल्की बारिश में ही वर्ष 2016 में बह गया था। बताया जा रहा है कि इस घटना के बाद भी अधिकारियों की ओर से तकनीकी विशेषज्ञों की सलाह लिए बिना ही निर्माण कार्य करा रहे हैं। इलाके के लोगों के मुंह से अब ये बातें भी सुनने को मिलती हैं कि इन विकास कार्यों में अनियमितता बरतकर पैसों की बंदरबाट की जा रही है।

पूरा मामला एक नजर में

प्राप्त जानकारी केे अनुसार छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के कोरिया जिले में स्थित गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया है जहा। यहां वन्य प्राणियों के लिए पानी उपलब्ध कराने जल संचय हेतु तालाब निर्माण का कार्य स्वीकृत हुआ। वर्ष 2019/20 में ही राष्ट्रीय उद्यान के रामढ़ परिक्षेत्र के बाघवार बीट में लगभग 8 लाख की लागत से घनघोर जंगल में वन्य प्राणियों के लिए तालाब का निर्माण करवाया गया।
इसके बाद विगत कुछ महीनों के अंतराल में बारिश होती रही है। इस बारिश में तालाब का एक बड़ा हिस्सा फूट गया व तालाब का पानी बह गया। वैसे सरकारी तालाब फूटने और बहने की घटना अक्सर बारिश के मौसम में ही देखने का मिलती है। लेकिन बेमौम बारिश में तालाब फूट जाए तो गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

मिट्टी का ठीक ढंग से नहीं हुआ कॉम्पैक्शन

वहीं ग्रामीणों की मानें तो जैसे तैसै फटाफट रातों रात पार्क क्षेत्र में जेसीबी की मदद से तालाब का निर्माण कराया गया था। तालाब की ज्यादा खुदाई भी नहीं की गई। तालाब से निकली मिट्टी को कोने में रख दिया गया। उसका सही ढंग से कॉम्पैक्शन भी नहीं किया गया, जिसके कारण तालाब हल्की बारिश में फूट गया। इससे अनियमिता व बंदरबाट से इनकार नहीं किया जा सकता।

प्रतिबंध केे बावजूद लगाई जेसीबी मशीन


पार्क के रामगढ़ परिक्षेत्र में इस तालाब का निर्माण एक ठेकेदार ने किया। ठेकेदार ने जेसीबी के जरिए से आनन-फानन में तालाब का निर्माण कर दिया। जबकि राष्ट्रीय उद्यान में मशीन प्रतिबंधित है।

तालाब फूट गया है। इसे लॉकडाउन खत्म होते ही रिपेयर करवा दिया जाएगा। इस वर्ष ज्यादा बारिश होने के कारण तालाब की मेढ़ टूट गई। इसकी जानकारी उच्च अधिकारी को दी गई है। आकस्मिक व्यय से इसकी मरम्मत करवा देंगे।
-एसके सिंह, रामगढ़ परिक्षेत्र अधिकारी, राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर

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