Supreme court की सरकार को दो टूक-जम्मू कश्मीर में बहाल करें इंटरनेट सर्विस |

Supreme court की सरकार को दो टूक-जम्मू कश्मीर में बहाल करें इंटरनेट सर्विस

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  • जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंधों प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हुई सुनवाई
  • इंटरनेट का इस्तेमाल अभिव्यक्ति के अधिकार का हिस्सा
  • एक हफ्ते में सरकार को अपने फसैलों की समीक्षा करने के लिए कहा

नई दिल्ली/नवप्रदेश। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन (jammu kashmir )को बैंकिंग, अस्पताल, शिक्षण संस्थानों समेत सभी जरूरी सेवाएं देने वाले संस्थानों में इंटरनेट सेवा बहाल (resume internet service) करने का आदेश दिया है।

Supreme court ने कहा देश कठिन दौर से गुजर रहा है

सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने इंटरनेट (internet) के इस्तेमाल को अभिव्यक्ति केे अधिकार का हिस्सा बताया है। यह भी कहा कि इंटरनेट के इस्तेमाल को सरकार अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं कर सकती। जम्मू कश्मीर (jammu kashmir) में लगे प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह बात कही। ये याचिकाएं कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद समेत अन्य लोगों की ओर से दायर की गई हैं।

शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर प्रशासन से यह भी कहा कि वह संविधान के अनु’छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के बाद लगाए गए प्रतिबंधों की एक हफ्ते के अंदर समीक्षा करे। कोर्ट ने दो टूक कह दिया है कि इंटरनेट को सरकार अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं कर सकती।

इंटरनेट का इस्तेमाल अभिव्यक्ति के अधिकार का हिस्सा माना है। और जम्मू कश्मीर प्रशासन से कहा है कि वह बैंकिंग, अस्पताल, शिक्षण संस्थानों समेत सभी जरूरी सेवाएं देने वाले संस्थानों में इंटरनेट सेवा बहाल करें (resume internet service)। जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की तीन सदस्यीय बेंच के सोमन याचिका पर सुनवाई हुई।

सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बातें

  • लोगों को असहमति जताने का पूरा अधिकार है।
  • धारा 144 का का इस्तेमला सोच-विचार कर ही किया जाना चाहिए।
  • विरोधी विचारों को दबाने के हथियार के तौर पर इसका दुरुपयोग न हो।
  • इंटरनेट का इस्तेमाल संविधान के आर्टिकल 19 के तहत प्राप्त अधिकार के तहत ही है।

सरकार से कहा

  •   अपने सभी आदेशों की हफ्तेभर में समीक्षा करें।
  • कश्मीर में अपने गैरजरूरी आदेश वापस लें।
  • प्रतिबंधों से जुड़े सभी आदेशों को सरकार करें।
  • इंटरनेट पर पूरा प्रतिबंध सख्त कदम, जरूरी होने पर लगे।
  • सभी जरूरी सेवाओं में इंटरनेट को बहाल किया जाए।
  • चिकित्सा जैसी सभी जरूरी सेवाओं में कोई बाधा न आए।

संतुलन का पाठ भी पढ़ाया

शीर्ष अदालत ने कहा कि स्वतंत्रता और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना होगा। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा भी जरूरी है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का भाग है। इंटरनेट इस्तेमाल की स्वतंत्रता भी आर्टिकल 19 (1) का हिस्सा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि धारा 144 का इस्तेमाल किसी के विचारों को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता।

केंद्र सरकार प्रतिबंधों को बता चुकी उचित

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनु’छेद &70 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के बाद वहां कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। इन्हें चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 27 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी। 21 नवंबर को केंद्र की ओर से प्रतिबंधों को सही ठहराया गया था। केंद्र ने कोर्ट में कहा था कि सरकार के प्रतिबंध संबंधी एहतियाती उपायों वजह से राज्य में किसी व्यक्ति की जान नहीं गई।

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