काईट में इनर इंजीनियरिंग एवं आर्ट ऑफ लिविंग पर कार्यशाला का आयोजन

काईट में इनर इंजीनियरिंग एवं आर्ट ऑफ लिविंग पर कार्यशाला का आयोजन

नवप्रदेश संवाददाता
रायपुर। कृति इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालाजी एंड इंजीनियरिंग कॉलेज (काईट) में स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के सौजन्य से इनर इंजीनियरिंग एवं आर्ट ऑफ लिविंग पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। तीन सत्रों में आयोजित यह कार्यशाला सभी महाविद्यालय के अध्येताओं हेतु रखी गई थी।
कार्यशाला के प्रथम सत्र का विषय था एन एनसियन्ट प्रेक्टिस टू हील मार्डन लाईफ स्टाइल इस सत्र की प्रमुख वक्ता एनआईटी की व्याख्याता डा. मंजु शुक्ला ने कार्यशाला में उपस्थित समस्त प्रतिभागियों को संबोधित करते हुये कहा कि योग भारतीय परंपराओं की एक महत्वपूर्ण विधा है जिसका सबंध न केवल शरीर अपितु मन और आत्मा को भी स्वस्थ्य एवं शांत करना है। मन की एकाग्रता, तन की स्वस्थ्यता और आत्मा की पवित्रता योग के माध्यम से अर्जित की जा सकती है। योग की महत्ता को बताते हुये डा. मंजू शुक्ला ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगो को अपने दैनिक जीवन में इसे शामिल करने की सलाह दी। उन्होने कहा कि अंग्रेजी में एक कहावत है कि एन एप्पल ए डे कीप द डाक्टर अवे परन्तु आज के जमाने में एप्पल की शुद्वता पर भी सवालिया निशान उठ रहे हैं तो मैं आपको यह सलाह देती हूं कि बीस मिनट का योग अपनी दैनिक जीवनचर्या में शामिल कर के भी आप डॉक्टर से दूर रह सकते हैं।
कार्यशाला के दूसरे सत्र में आर्ट ऑफ लिविंग परिवार से हरीश सादीजा ने कहा कि जीवन में शांति और संतुलन प्राप्त करने लिये मानव जीवन एवं इसे चलाने वाले नियमों को समझना आवष्यक है इसके लिये हमें अपनी श्वसन प्रक्रिया पर नियंत्रण एवं सतत् अभ्यास की आवष्यकता होगी।
कार्यक्रम के अंतिम सत्र को एनआईटी रायपुर के प्रोफेसर समीर बाजपेयी ने संबोधित किया एवं मानव जीवन में समझ की महत्ता पर बोलते हुये प्रतिभागियों से कहा कि हमारे जीवन में समाधान ही सुख है और समाधान सदैव अच्छी समझ से प्राप्त किया जा सकता है। स्वयं के अस्तित्व एवं सृष्टि में हमारे किरदार तथा प्रकृति के नियमों की समझ और सामंजस्य के द्वारा हम सुख एवं शांतिमय जीवन व्यतीत कर सकते हैं। उन्होने आगे कहा कि जीवन में किसी भी प्रकार का तनाव या समस्या का मूल कारण जीवन में सही समझ का अभाव ही है।
कार्यशाला के प्रारंभ में प्राचार्य डा.बी.सी.जैन ने प्रमुख वक्ता गणों का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया एवं अपने प्रारंभिक उद्बोधन में कहा कि जीवन में प्रसन्न एवं स्वस्थ्य रहते हुये अपने कार्यों को कैसे संपादित किया जाये यही इस कार्यशाला का मूल उद्देष्य है।
कार्यशाला में आये सभी प्रतिभागियों इसकी सराहना करते हुये कहा कि आज के वक्ताओं ने जिस सहज एवं सरल तरीके से हमें जीवन में योग सहित अन्य विषयों के बारे में समझाया उसके लिये हम उनके प्रति आभार प्रगट करते हैं एवं हमारा प्रयास रहेगा कि हम इसे अपनी दैनंदिनी में शामिल करें।

JOIN OUR WHATS APP GROUP

डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *