छत्तीसगढ़ सरकार को भारी पड़ सकता है सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी से पंगा लेना! |

छत्तीसगढ़ सरकार को भारी पड़ सकता है सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी से पंगा लेना!

FIR Against Subramanian Swami

  • यहां पढिय़े एक्सपट्र्स ने क्या कहा?

  • विवादित टिप्पणी मामले में छत्तीसगढ़ के कई थानों में दर्ज किये गए हैं मामले

  • राज्यसभा सांसद के खिलाफ में गैर जमानती धाराएं लगाई गईं

  • कहीं नासमझी तो नहीं दिखा दी कांगे्रस नेताओं और पुलिस ने?

    नवप्रदेश संवाददाता

रायपुर। राहुल गांधी के खिलाफ राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swami) के कथित बयान पर सियासत गरम है। राहुल को कोकीन का नशा करने वाला बता उनके डोप टेस्ट किये जाने वाले विवादित बयान के बाद छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के कांग्रेसी नेता भी नाराज हैं। इसी के चलते सुब्रमण्यम स्वामी के खिलाफ छत्तीसगढ़ में जशपुर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर लिया है, वहीं कई जिलों में कांगे्रस नेताओं ने शिकायत दर्ज कराई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके राहुल गांधी पर विवादित टिप्पणी से खफा जशपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने राज्यसभा सांसद स्वामी के खिलाफ पत्थलगांव थाने में गैर जमानती धाराओं में अपराध दर्ज किया है। जिला अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने शिकायत की है। शिकायत में उल्लेखित किया गया है कि सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swami) की टिप्पणी बेहद आपत्तिजनक और झूठी है और उनकी ऐसी टिप्पणी से विभिन्न वर्गों के बीच घृणा और वैमनस्यता फैल सकती है। पत्थलगांव पुलिस ने धारा 504, 505(2)और 511 के तहत अपराध पंजीबद्ध तो कर लिया है। भले ही कांग्रेस और राहुल गांधी के प्रति विशेष स्नेह रखने वाले कांग्रेसी नेता पवन अग्रवाल कथित बयान से आहत होकर यह कदम उठा लिए हैं, लेकिन पुलिस और जिलाध्यक्ष के लिए एफआईआर की जल्दबाजी से विवाद बड़ा हो सकता है। यह कहना भी गलत न होगा कि छत्तीसगढ़ पुलिस और जशपुर जिलाध्यक्ष का यह दांव उल्टा भी पड़ सकता है।

एक्सपर्ट व्यू

हाईकोर्ट के अधिवक्ता श्री भतपहरी के मुताबिक राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swami) के कथित बयान के आधार पर अगर जशपुर पुलिस ने केस दर्ज किया है और शिकायतकर्ता पवन अग्रवाल हैं। ऐसी स्थिति में पुलिस को कथित तौर पर आरोपी बनाने से पूर्व यह भी साबित करना होगा कि सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swami) का बयान आधारहीन और गलत है। वहीं राज्यसभा सांसद पर भी सीधे तौर पर पुलिस का त्वरित एक्शन कई मायनों में उलटा पड़ सकता है। मामले में पुलिस कोर्ट के मार्फत स्वामी को गिरफ्तार या पेश करने की कोशिश करने में सफल भी हो जाती है तो न्यायालय में इस मामले में सीधे तौर पर राहुल गांधी के लिए भी मुसीबत होगी। स्वामी अपने कथित बयान पर अडिग रहेंगे और वे कोर्ट से गुजारिश किया कि उनका बयान गलत है या सही इसका पता राहुल गांधी के डोप टेस्ट के बाद ही साबित होगा। अगर डोप टेस्ट होता है और कोकिन न सही नशे के अन्य लक्षण भी मिलते हैं तो वह कांग्रेस और राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी के लिए ही ठीक नहीं होगा।

यह है पूरा मामला

कुछ दिनों पूर्व पंजाब सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह नशे के कारोबार और इसका सेवन करने वालों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैंं। पंजाब के सीएम ने न सिर्फ नई भर्तियों के दौरान बल्कि हर साल होने वाले प्रमोशन और एनुअल रिपोर्ट तैयार किए जाने के दौरान भी कर्मचारियों का डोप टेस्ट करवाने के लिए नियम बनाने और नोटिफिकेशन जारी करने के निर्देश दिए हैं। जिस पर हरसिमरत कौर बादल ने कहा था कि इस टेस्ट को जरूर कराना चाहिए लेकिन सबसे पहले उन नेताओं को अपना टेस्ट कराना चाहिए, जिन्होंने पहले भी 70 फीसदी पंजाबियों को नशेड़ी कहा था। तब स्वामी ने हरसिमरत कौर बादल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि केंद्रीय मंत्री ने 70 फीसदी पंजाबियों को नशेड़ी कहने वाले कांग्रेस नेताओं पर जो कटाक्ष किया है, उनमें राहुल गांधी भी शामिल हैं। यही नहीं भाजपा नेता ने दावा किया कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष डोप टेस्ट कराते हैं तो निश्चित ही उसमें फेल हो जाएंगे।

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