Navpradesh Special: अमेरिका में भी छत्तीसगढ़िया से 'डर' रहा कोरोना, कोई संक्रमित नहीं

Navpradesh Special: अमेरिका में भी छत्तीसगढ़िया से ‘डर’ रहा कोरोना, कोई संक्रमित नहीं

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  • शिकागो से नाचा के अध्यक्ष गणेश कार व सेनफ्रांसिस्को से सोनल अग्रवाल ने नवप्रदेश से साझा किया अमेरिका का हाल
  • करीब 10 हजार लोग है छत्तीसगढ़ मूल के अमेरिका में, अब तक किसी के पॉजिटिव होने की खबर नहीं
  • जबकि, गुजरात, साउथ, केरल, महाराष्ट्र व ओडिशा मूल वालों के संक्रमित होने की खबर

अश्विन अगाड़े
सेनफ्रांसिस्को/शिकागो/न्यूज जर्सी/रायपुर/। कोरोना (corona in america) संक्रमण पर काबू पाने में छत्तीसगढ़ की स्थिति देश के अन्य राज्यों से काफी अच्छी है। वहीं वायरस से सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में एक भी छत्तीढ़सिया (chhattisgarhia in america) कोरोना से संक्रमित नहीं (not infected in america) है।

नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ असोसिएशन (nacha) के अध्यक्ष और इलिनाय प्रांत के शिकागो शहर में रह रहे गणेश कार के मुताबिक अमेरिका के विभिन्न राज्यों में बसे करीब 10 हजार लोगों में से अब तक किसी के कोरोना (corona in america)से संक्रमित होने की खबर नहीं है। गणेश ने बताया कि नाचा से छत्तीसगढ़ मूल के 2000 लोग जुड़े हैं।

इनमें से कोई भी छत्तीसगढ़िया (chhattisgarhia in america) संक्रमित नहीं (not infected in america) है। ये 2000 लोग सोशल मीडिया पर किसी न किसी तरह छत्तीसगढ़ के लोगों के संपर्क में हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर अब तक किसी छत्तीसगढिय़ा के संक्रमित होने की खबर नहीं है। यदि ऐसा कोई मामला होता तो अब तक सामने आ जाता।

CHICAGO CITY

इन राज्यों के भारतवंशी हो चुके संक्रमित

जबकि गुजरात, केरल, दक्षिण के राज्यों, महाराष्ट्र और अब ओडिशा मूल के लोगों के संक्रमित होने की खबरें आ चुकी हैं। अमेरिका में मृतकों के बढ़ रहे आंकड़े को लेकर कार ने बताया कि वहां मृतकों में बुजुर्गों की संख्या सबसे ज्यादा है और दूसरे वे लोग हैं जो पहल से किन्हीं बीमारियों से गसित हैं। इनमें भी एशिया मूल के लोगों की संख्या महज 1-2 प्रतिशत है। हालांकि अमेरिका में टेस्टिंग ज्यादा होने से भी यहां संक्रमितों की संख्या ज्यादा आ रही है।

भारत जैसी सख्ती नहीं, लॉकडाउन की जगह ‘शेल्टर इन प्लेस’

नाचा (nacha) अध्यक्ष ने बताया कि कोरोना महामारी के अमेरिका में भयावह रूप ले चुके होने के बावजूद वहां भारत जैसी सख्ती नहीं है। यहां लॉकडाउन की जगह ‘शेल्टर इन प्लेस’ शब्द का इस्तेमाल हो रहा है। इसका मतलब है सुरक्षा के लिए पहले से रह रहे घर में रहना बनिस्बत कि सामुदायिक इमरजेंसी सेंटर की शरण लेना या किसी इलाके को खाली करना। बकौल कार अमेरिका में ट्रेनें चल रही हैं। एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर पाबंदी भी नहीं हैं। लेकिन प्राय: सभी लोगों के पास खुद की कार या अन्य साधन होने से लोग ट्रेनों का इस्तेमाल काफी कम कर रहे हैं।

लोग शिक्षित व टेक्रोफ्रेंड्ली होने की वजह से छूट के बावजूद अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी समझकर ही व्यवहार करते हैं। छूट का दुरुपयोग नहीं हो रहा। हालांकि फ्लाइट्स (सिर्फ डोमेस्टिक) न के बराबर चालू हैं और गैर जरूरी सामानों की दुकानें व इनका निर्माण बंद हैं। लेकिन जरूरी सामनों की दुकानें खुली हैं। स्कूल बंद हैं। जरूरी सेवाओं से जुड़ी रिटेल चेन खुली है। इंडियन ग्रासरी शॉप भी खुले हैं।

जिनके पास रोजगार उनके खातों में भी दो-दो लाख रुपए

नाचा के अध्यक्ष ने बताया कि अमेरिका में छोटे व्यवसायियों, बेराजगारों व अभी जिनके पास रोजगार है उन्हें भी वित्तीय मदद देने के लिए बड़े आर्थिक पैकेज का ऐलान किया गया है। पति-पत्नी मिलाकर जिनकी सालाना आय डेढ़ लाख डॉलर यानी भारतीय मुद्रा में करीब एक करोड़ रुपए है ऐसे लोगों के खाते में भी औसतन दो-दो लाख रुपए डाल दिए गए हैं, ताकि उनकी क्रयशक्ति कम न हो।

तुलनात्मक रूप से देखें तो अमेरिकी सरकार द्वारा दी जा रही मदद छत्तीसगढ़ के बजट से 14 सौ गुना ज्यादा है। कोरोना संक्रमण के चलते 30 करोड़ की आबादी वाले देश में 2 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए हैं। अमेरिकी सरकार व विपक्ष ने इनकी तकलीफों के भलीभांति समझा है। फिर भी अन्य देशों की तरह अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर आने के लिए करीब 6-7 माह लग जाएंगे।

SAN FRANCISCO

बार बंद, रेस्तरां खुले पर यहां बैठकर खा नहीं सकते

बकौल कार अमेरिका में बीयर बार बंद हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि यहां लोग शराब नहीं पी पा रहे। यूएस में बार के अलावा अन्य प्रष्ठिानों पर भी शराब मिल जाती है। अभी शर्त यह है लोग शराब लेकर इसे अपने घर जाकर पी सकते हैं। वहीं रेस्तरां से खाना ऑर्डर कर सकते हैं। वहां बैठकर खा नहीं सकते। मास्क की बात करें तो दो-तीन राज्यों को छोड़कर इसकी सख्ती अन्य राज्यों में नहीं है। कुछ राज्यों में मास्क के साथ ग्लव्ज पहनना भी जरूरी है। वैसे लोग ऐहतियातन भी मास्क पहन रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के पहाड़ी इलाके वालों की इम्यूनिटी को अच्छा कह सकते हैं


नवप्रदेश के इस सवाल पर कि क्या छत्तीसगढ़ के लोगों की इम्यूनिटी स्ट्रांग होने के कारण कोरोना वायरस छत्तीगढिय़ा लोगों पर हावी नहीं हो रहा है, कार ने कहा- कुछ हद तक इसे सही कह सकते हैं। छत्तीसगढ़ के जो पहाड़ी इलाके हैं वहां के लोगों की जीवनशैली ऐसी है जो उनकी इम्यूनिटी को बढ़ा देती है। भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों की भी इम्यूनिटी स्ट्रांग है। लेकिन हम छत्तीसगढ़ के सभी इलाकों के लिए यह बात नहीं सकते। रायपुर व इंदौर के लोगों में ज्यादा अंतर नहीं हो सकता।

पुलिस डंडे तो नहीं चलाती पर वसूलती है तगड़ा फाइन

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सोनल अग्रवाल द्वारा भेजी गई सेनफ्रांसिस्को की सूनी सड़क की तस्वीर।

वहीं कैलिफोर्निया प्रांत के सेनफ्रांसिस्को शहर में निवासरत मूलतया बिलासपुर निवासी हाउस वाइफ सोनल अग्रवाल ने बताया कि अमेरिका में कोरोना संक्रमण को लेकर स्थित नियंत्रण में नहीं है। हालांकि छत्तीसगढ़ मूल का कोई भी व्यक्ति अब तक संक्रमित नहीं पाया गया। और हम यही उम्मीद करते हैं कि आगे भी कोई संक्रमित न हो। बकौल सोनल सेनफ्रांसिस्को इलाके से ही अमेरिका का पहला कोरोना पॉजिटिव केस आया था।

गवर्नर ने पहले से ही बरती सख्ती

इसलिए यहां के गवर्नर ने सख्ती बरती है। वैसे अभी भी अमेरिका में देश की सरकार द्वारा लॉकडाउन जैसा कोई आदेश नहीं है। फिर भी जिन राज्यों को लग रहा है वे अपने स्तर पर सख्ती बरत रहे हैं। कैलिफोर्निया प्रांत की बात करें तो यहां नियमों को उल्लंघन करते या बेवजह घूमते पकड़े जाने पर पुलिस बल प्रयोग तो नहीं करती लेकिन तगड़ा फाइन वसूलती है, जो 500 डॉलर से शुरू होता है। इसलिए प्रांत व सेनफ्रांसिस्को शहर में लोग घरों से काफी कम बाहर निकल रहे हैं।


भारत सरकार व छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जो कदम उठाए हैं वे प्रशंसनीय है। क्योंकि भूभाग के लिहाज से अमेरिका की तुलना में भारत की आबादी ज्यादा है। यदि यहां समय रहते लॉकडाउन नहीं किया जाता तो गंभीर परिणाम सामने आ सकते थे। भारत में सही समय पर सही निर्णय लिया गया।
-गणेश कार, अध्यक्ष, नाचा, शिकागो (गणेश मूलतया छग के बेलाडीला के निवासी हैं)

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