Brinda Karat in Raipur: केंद्र व आरएसएस पर वृंदा का रायपुर में बड़ा हमला, बोलीं...

Brinda Karat in Raipur: केंद्र व आरएसएस पर वृंदा का रायपुर में बड़ा हमला, बोलीं…

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रायपुर/नवप्रदेश। वृंदा करात (brinda karat in raipur)  ने  केंद्र सरकार (attack centre government on caa  and nrc) पर सीएए, एनपीआर व एनआरसी को लेकर जमकर निशाना साधा। सीपीआईएम नेता वृंदा करात ने कहा कि सीएए के नाम पर केंद्र सरकार देश को गुमराह कर रही है। उन्होंने आरएसएस को भी आड़े हाथों लिया।

प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि सीएए देश में रहने वाले लोगों के लिए नहीं है। यह पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों के सताए लोगों के लिए है। करात ने कहा कि हम भी चाहते हैं कि सताए लोगों को भारत में शरण दी जाए। ये बात की पैरवी कभी स्वामी विवेकानंद ने भी की थी। हमें ऐसे देश पर गर्व है। लेकिन इसे धर्म से जोड़ने की इजाजत  हमारा संविधान नहीं देता। करात (brinda karat in raipur) ने कहा कि केंद्र सरकार (attack centre government on caa and nrc) को सीएए को धर्म से जोड़कर संविधान पर कुठाराघात किया है। करात साेमवार की रात को राजधानी के जयस्तंभ चौक पर सीएएस, एनआरसी के विरोध में चल रहे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के मंच से बोल रही थी।

चिंता है तो रोहिंग्या, तमिल व अहमदिया की बात क्यों नहीं करते

दूसरी बात यदि इन्हें (केंद्र सरकार) को सताए हुए लोगों की इतनी ही चिंता है तो इसमें नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका का जिक्र क्याें नहीं है, रोहिंग्याओं व तमिलों को नागरिकता का जिक्र क्यों नहीं है। ये पाकिस्तान के हिंदुओं की बात करते हैं। वहां के अहमदिया लोगों की बात क्यों नहीं करते।

पाकिस्तान में अहमदिया लोग भी सताए हुए हैं। उन्हें  वहां मुस्लिम तक नहीं माना जाता। सीपीआईएम नेता करात (brinda karat in raipur)  ने कहा कि ये इन देशों का जिक्र इसलिए नहीं करते क्योंकि इन्हें सीएए, एनसीआर के जरिए आरएसएस के हिंदू राष्ट्र के एजेंडे को पूरा करना चाहते हैं। इसलिए मुस्लिमों को टारगेट किया जा रहा है। यदि देश की जनता ने इसका विरोध नहीं किया तो उनका ये एजेंडा लागू हो जाएगा। इसमें सिर्फ मुसलमानों का नुकसान नहीं होगा। बल्कि देश से प्रेम करने वाले हर शख्स का नुकसान होगा।

आरएसएस को बताया राष्ट्रीय सर्वनाश समिति

वृंदा करात ने कहा कि आरएसएस अपने आप को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कहता है। लेकिन मैं इसे राष्ट्रीय सर्वनाश समिति कहती हूं। ये वही संगठन है जिसने 1950 में बाबासाहब आंबेडकर के बनाए संविधान को स्वीकार करने पर असहमति दर्शायी थी। तब आरएसएस ने संविधान को मनुवादी विचाारधारा पर केंद्रीत  करने की  वकालत की थी।

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