छह स्कूलों में दर्ज कम संख्या, विभाग मर्ज करने की तैयारी में

छह स्कूलों में दर्ज कम संख्या, विभाग मर्ज करने की तैयारी में

जिला शिक्षा अधिकारी ने शासन को स्वीकृति के लिए भेजा प्रस्ताव
नवप्रदेश संवाददाता
बिलासपुर। शासकीय स्कूलों से निराश होते बच्चे अब कान्वेंट स्कूलों का रुख करने लगे है वहीं शासन की मंशा है कि बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही अंग्रेजी में शिक्षा दी जाये, जिससे वे प्राईवेट स्कूलों की महंगी पढ़ाई से बेहतर शिक्षा के लिए वंचित न हो । इसी कड़ी में शहर के छह स्कूलों, जिनमें दर्ज संख्या कम है उन्हें मर्ज कर अंग्रेजी माध्यम के स्कूल बनाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रस्ताव बनाया है। अब इन शालाओ ंको अंग्रेजी माध्यम में संचालन के लिए तैयार शुरु की जाएगी।
पिछले दिनों जिला कलेक्टर और नगर विधायक शैलेश पांडेय के कहने पर बिल्हा बीइओ को जिला शिक्षा अधिकारी आरएन हिराधर ने शहर में संचालित स्कूलों का सर्वे कर कम दर्ज संख्या वाले स्कूलों की सूर्ची बनाने कहा था । इस सर्वे में शासकीय प्राथमिक शाला शनिचरी पड़ाव, शासकीय प्राथमिक शाला नेहरु नगर, शासकीय प्राथमिक शाला खपरगंज, शासकीय प्राथमिक शाला उर्दु खपरगंज, शासकीय प्रथमिक शाला दयालबंद और शासकीय प्राथमिक शाला तारबहर में पढ़ाई करने वाले बच्चों की दर्ज संख्या को न्यूनतम पाया गया जिसके बाद बिल्हा बीईओ पीएस बेदी ने जिला शिक्षा अधिकारी आरएन हिराधर को इसकी जानकारी भेजी है। जिसके बाद शिक्षा अधिकारी ने शासन को इन स्कूलों को हिन्दी मिडीयम के जगह अंग्रजी माध्यम में बदलने का प्रस्ताव भेजा है । स्वीकृति मिलने के बाद इन स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई कराने के लिए तैयारी की जाएगी।
सभी ब्लाकों में पहले से एक-एक स्कूल संचालित
जिले के सभी सातो ब्लॉकों में पिछले वर्ष एक-एक स्कूलों को हिन्दी माध्यम से अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित कर अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई कराई जा रही है। जिन स्कूलों का इस वर्ष परीक्षा परीणाम भी सीबीएससी स्कूलों के मुकाबले अच्छे रहें। इसे देखते हुए शहर के कम दर्ज संख्या वाले स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।
मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चों को मिलेगी बेहतर शिक्षा-पांडेय
शहर विधायक शैलेश पांडेय ने बताया कि शुरु से वो शहर के कुछ सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तन करना चाह रहें थे क्योंकि सरकार तो पहले से ही यहां के शासकीय स्कूलों को चलने के पैसा खर्च करती है तो क्यों न शिक्षा पद्धति में बदलाव करते हुए अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों से शहर के बच्चों की पढ़ाई कराई जाए, जिसके लिए विधायक ने शिक्षा मंत्री से भी बात की और जिला शिक्षा अधिकारी को सर्वे कराने जिम्मेदारी दी । अब शहर के कम दर्ज संख्या वाले स्कूल को अंग्रेजी माध्यम में कनवर्ट कर मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए शहर विधायक ने पहल किया है।
शासन को प्रस्ताव भेजा गया
जिला शिक्षा अधिकारी आरएन हीराधर ने बताया कि जिला कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों की मांग पर सर्वे कराया गया और शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही इन स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित किया जाएगा। शुरुवाती दिनों में विभाग के अंग्रेजी माध्यम में पढ़े शिक्षक यहां अध्ययन कराएंगे उसके बाद नए भर्ती के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा।

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