बेरला-देवकर क्षेत्र में प्रतिबंधित लकड़ी का अवैध व्यापार

बेरला-देवकर क्षेत्र में प्रतिबंधित लकड़ी का अवैध व्यापार

प्रशासन की नाकामी से बेरला-देवकर-परपोड़ी क्षेत्र में खूब हो रहा प्रतिबंधित लकड़ी का अवैध व्यापार
दस सालों में शिवनाथ-सुरही नदी का दुर्लभ किनारा हुआ बर्बाद,प्रशासन बेपरवाह
नवप्रदेश संवाददाता
बेरला। इन दिनों बेरला ब्लॉक सहित निकटतम देवकर व परपोड़ी क्षेत्र में प्रशासन द्वारा प्रतिबन्धित लकड़ी का जबरदस्त अवैध व्यापार किया जा रहा है। यह सब खेल प्रशासन व विभाग के नाक के नीचे हो रहा है। जिससे स्थानीय स्तर पर काफी किरकिरी मची हुई है!
उल्लेखनीय है कि बेरला ब्लॉक में शिवनाथ नदी का प्रवाहन क्षेत्र है तो वही निकट स्थित देवकर व परपोड़ी क्षेत्र में सुरही नदी बहती है। जहां अब बड़ी समस्या नदी किनारे लगे वृक्षों की सघनता व प्राकृतिक सौंदर्य की अस्तित्व की है!जानकारी के अनुसार तीनों ही इलाकों में दशकों पूर्व नदी किनारे बने रहे बगीचे व अन्य प्राकृतिक छटा अब विलुप्ति के कगार पर है!दशकों पूर्व की तुलना में वर्तमान में सिर्फ एक तिहाई से भी काफी कम नदी किनारे वन नजऱ आ रहे है। जो पर्यावरण प्रेमियों के लिए काफी ध्यान देने योग्य है। खासकर स्थानीय वनमाफिया चंद पैसो के लालच में पूरा परिक्षेत्र को तबाह व पर्यावरण को तहस नहस कर अनगिनत दुर्लभ,कीमती, इमारती व प्रतिबन्धित वृक्षों की जबरदस्त कटाई कर रहे है!साथ ही इसे ले जाकर लकड़ी व्यपारियो व बढ़ई कारोबारी को मनमाने दामो पर उपलब्ध कराकर बेच रहे है। वही इस काम मे स्थानीय वन माफियाओं के साथ कुछ सम्बन्धित अफसरों की संलग्नता तीनों जगहों पर सामने आ रही है। आचार संहिता के बावजूद अभी भी खूब धड़ल्ले से प्रतिबंधित लकड़ी सम्बन्धित कारोबार खूब फल फूल रहे है। ज्यादातर ग्रामीण इलाके में ही इन दिनों प्रशासन की नाक के सामने से वृक्ष कटाई का कार्य चल रहा है। जिसे लेकर पर्यावरण व राजस्व विभाग से लेकर अन्य सम्बन्धित विभाग भी गम्भीरता से लेने का प्रयास नही कर रहे है। जिससे इनके हौसले काफी बुलन्द है। सम्बन्धित जानकारी व प्रमाण मिलने के बाद भी विभागीय अधिकारी कार्यवाही करने से हिचकते है,जिससे उनकी कार्यप्रणाली पर सन्देह के दायरे में नजऱ आती है। चूंकि बेरला, देवकर और परपोड़ी तीनों जगह जि़ले के अंतर्गत आते है इसकारण मामला और भी रोचक हो जाता है।
प्रतिबंधित लकड़ी के लिए गुप्त स्टॉक
चूंकि तीनों नगरीय इलाको में बढ़ई कारोबार अपने अपने स्तर और है। जिसमे जरूरत की मुताबिक लकड़ी की पूर्ति के लिए लकड़ी ठेकेदारों से बकायदा डिमांड में लेकर लकड़ी मंगाई जाती है। जिसको वे उचित निगरानी वाली जगहों पर रखकर उपयोगिता करते है। वही कुछ जगहों पर तो खुलेआम लकड़ी पड़े नजऱ आते है। जो प्रशासन की मेहरबानी की ओर इशारा करती है।
पर्यावरण व प्रशासन के नियम-कानून सब ताक पर
उल्लेखनीय है, कि पर्यावरण विषय पर एक तरफ जहां स्कूलों में विस्तृत जानकारी के साथ पर्यावरण संरक्षण की बात कराती है। वही असल हक़ीक़त जमीनी स्तर पर कुछ और है!वन माफियाओं द्वारा बेतहाशा हो रही वृक्षों की कटाई में न तो किसी प्रकार नियम कानून की परवाह है , न पर्यावरण की। जि़ले के इस क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण मात्र एक जुमला बनकर रह गया है। क्योंकि खानापूर्ति इतनी है कि किसी को कोई परवाह नही। तीनो क्षेत्र में बर्बादी इतनी है, कि कभी न सूखने वाली सदाबहार व जीवनदायिनी शिवनाथ सिमट रही है। वही उसकी मुख्य सहायक में से एक सुरही पूरी तरह सूखकर मिट चुकी है। जो कि पर्यावरण व पर्यावरण चिंतकों के लिए बड़ी क्षति से कम नही। साथ ही सभ्य समाज के लिए आऐना भी। इस पर प्रशासन का रवैया व कार्यपद्धति ही जिम्मेदार है।
बेतहाशा कटाई से पर्यावरण के बाशिंदों का अस्तित्व खतरे में
इन दिनों बेतहाशा लकड़ी कटाई का हश्र इस कदर है, कि पर्यावरण पर निर्भर रहने वाले दुर्लभ से लेकर हर तरह के जीव प्रजाति का अस्तित्व भी खतरे में नजऱ आ रहा है। इस पर पर्यावरण के शुभचिंतकों व प्रशासनिक अफसरों को तत्काल मामले पर गम्भीरता लेकर एक स्पष्ट संरक्षण के प्रति योजनामैप तैयार करनी चाहिए। साथ ही जानकारी लेकर बेरला व देवकर जैसे नगरीय क्षेत्र में रखे खुले स्टॉक को जब्त कर उचित कार्यवाही करनी चाहिए। ताकि ऐसा अवैध व पर्यावरण नुकसानदेह कार्य बंद हो सके।
पर्यावरण की इस क्षति में सभी वर्ग जिम्मेदार
इस गम्भीर मसले पर अगर वास्तव में ध्यान से देखा जाये तो पर्यावरण संरक्षण के प्रति जरा भी उत्तरदायित्व किसी वर्ग या प्रतिनिधि या अफसर द्वारा नही दिखाई जाती है। जिसके परिणामस्वरूप आज क्षेत्र में पर्यावरण अपनी अस्तित्व बचाने की गुहार लगा रहे है। पूरी मानव सभ्यता इसके लिए जिम्मेदार मानी जा रही है। क्योंकि लगातार मानव पर्यावरण का दोहन व उपभोग करता आ रहा है,जो भविष्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।
अंधाधुंध कटाई वाले प्रतिबंधित वृक्ष
ज्यादातर साल, सागौन, डूमर,खम्हार, शीशम, परसा, कहवा, मउहा, इमली, आम, तेंदू, नीलगिरी, प्रशासन द्वारा फलदार, इमारती, कीमती, दुर्लभ इत्यादि वृक्ष आज इन वैन माफियाओं की शिकार के कारण नष्ट होती जा रही है।

चूंकि जि़ले में वनक्षेत्र नही होने के कारण इस सम्बंध में मैं तो नही उचित जानकारी राजस्व विभाग ही दे पाएंगे!अगर ऐसी जानकारी मिलती है तो हम एसडीएम व तहसीलदार को अवगत करा दिया जाता है!
– धनेश साहू, (वन अधिकारी साजा-बेरला परिक्षेत्र)

नगरीय क्षेत्रों में अवैध लकड़ी संग्रहण की जानकारी मुझे आपके माध्यम से हो रही है। मामले में कार्यवाही की जावेगी।
पी.रजक, तहसीलदार साजा

मामला बड़ा ही गम्भीर है!मामले को संज्ञान में लिया जाएगा एवं सख्त कार्यवाही कि जाएगा।
एन. टी.ए. चन्द्रवंशी, तहसीलदार बेरला

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