एनएमडीसी के 'संकट' मोचक बने आईएएस एन. बैजेंद्र कुमार

एनएमडीसी के ‘संकट’ मोचक बने आईएएस एन. बैजेंद्र कुमार

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एनएमडीसी चेयरमैन सह सीएमडी एन. बैजेंद्र कुमार के प्रयासों से छत्तीसगढ़ स्थित चार खदानों की लीज होगी रिन्यू

हैदराबाद/रायपुर/नवप्रदेश । एनएमडीसी (nmdc) को चेयरमैन सह सीएमडी के रूप में मिले आईएएस (ias) अफसर एन. बैजेंद्र कुमार (n. baijendra kumar) के कुशल नेतृत्व से इस सरकारी नवरत्न कंपनी पर संभावित संकट टल गया है।

कुमार (n. baijendra kumar) ने अपने कुशल नेतृत्व और छह माह तक किए अथक प्रयासों से छत्तीसगढ़ सरकार को कंपनी की प्रदेश में स्थित चार खदानों (mines) की लीज (lease) के नवीनीकरण (renewal) के लिए मना लिया है। गत दिनों छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कुमार ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से एनएमडीसी की खदानों (mines) के नवीनीकरण को लेकर मुलाकात की थी। इस दौरान सीएम बघेल की ओर से उन्हें आश्वसत किया गया कि एनएमडीसी की खदानों की माइनिंग लीज की अवधि को बढ़ाया जाएगा।

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से एनएमडीसी की दंतेवाड़ा जिले में बेलाडिला प्रोजेक्ट के अंतर्गत चार खदानों की लीज को रिन्यू करने की बात कही है इन चारों की माइनिंग लीज मार्च 2020 में खत्म होने जा रही है। इन खदानों की वार्षिक उत्पादन क्षमता 29 मिलियन टन प्रति वर्ष है।

एनएमडीसी पर इसलिए मंडराने लगे थे संकट के बादल

एनएमडीसी (nmdc) की कर्नाटक की डोनीमलाई कॉम्प्लेक्स की सालाना उत्पादन क्षमता महज 7 मिलियन टन(70 लाख टन) ही है। लेकिन पिछले वर्ष कुछ विवादों के चलते डोनीमलाई की माइनिंग लीज कैंसल हो गई। जिसकी वजह से यहां से उत्पादन बंद करना पड़ा। केंद्र व माइंस ट्रिब्यूनल के हस्क्षेप के बावजूद भी अब तक कंपनी को इसकी लीज नहीं मिल सकी है। वहीं दूसरी ओर छत्तीगढ़ की जिन चार खदानों की लीज के नवीनीकरण के लिए राज्य सरकार ने हामी भरी है , उनकी साला उत्पादन क्षमता 29 मिलियन टन (2 करोड़ 90 लाख टन) है। ऐसे में यदि इन चार खदानों के लीज रिन्यूअल (lease renewal) में देरी हो जाती तो एनएमडीसी के अस्तित्व के लिए भी कठिन परिस्थिति निर्मित हो जाती।

ऐसे मिली सफलता

छह माह के निरंतर प्रयास

इन बातों को ध्यान में रखकर एनएमडीसी की ओर से छत्तीसगढ़ की खदानों के लीज के नवीकरण के संबंध में कर्नाटक जैसी किसी प्रतिकूल माहौल के निर्माण को टालने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए। इस काम की कमान एनएमडीसी के चेयरमैन सह सीएमडी आईएएस एन. बैजेंद्र कुमार ने संभाली। उनके छह माह के निरंतर प्रयासों सफलता भी मिली। छग की चार खदानों की लीज रिन्यूअल का रास्ता साफ हो गया।

छत्तीसगढ़ से जुड़ाव

दरअसल इस सफलता में एन. बैजेंद्र कुमार के ब्यूरोक्रैटिक बैग्राउंड व उनके छत्तीसगढ़ से जुड़ाव ने भी बड़ी भूमिका निभाई। 1985 बैच के आईएएस (ias) अधिकारी कुमार छत्तीसगढ़ कैडर से ताल्लुक रखते हैं। लिहाजा उन्हें यहां की कार्यप्रणाली की अच्छी खासी समझ है। उनकी इसी क्षमता से एनएमडीसी की प्रदेश में स्थित चार खदानों की लीज के नवीनीकरण का रास्ता साफ हो सका है।

कंपनी के कुल उत्पादन में छग की खदानों का सर्वाधिक योगदान

छह दशकों से लौह अयस्कों के खनन में कार्यरत एनएमडीसी देशभर में तीन आयरन ओर कॉम्प्लेक्स का संचालन करती है। इसमें से एक कर्नाटक के डोनीमलाई में स्थित है और दो छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में। इन दो कॉम्प्लेक्स की कंपनी के कुल उत्पादन में बड़ी हिस्सेदारी है। एनएमडीसी के सालाना कुल 33 मिलियन टन (3 करोड़ 30 लाख टन) उत्पादन में छत्तीसगढ़ के बचेली व किरंदुल स्थित दो कॉम्पलेक्स का योगदान 23.2 मिलियन टन (दो करोड़ 32 लाख टन ) है(वर्ष 2018-19 में)। ये दोनों कॉम्प्लेक्स बेलाडिला प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसमें पांच खदान हैं।

 

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